22 Jan, 2017
बिड़दी
परमहंस स्वामी नित्यानंद जी की एक और विजय में, रामनगर की प्रमुख जिला अदालत ने आज स्वामी नित्यानंद जी के खिलाफ एक मामले में लेनिन करुप्पन को झूठे शिकायतकर्ता का समन जारी किया | लेनिन बलात्कार के मामले में आरोपी है तथा एक गंभीर अत्याचार के मामले में 2 महीने के ट्रायल पर है। माननीय न्यायालय ने जांच और आरोप पत्र दायर करने और लेनिन को समन जारी करने का आदेश दिया है।
12 मार्च 2013 को कर्नाटक के माननीय उच्च न्यायालय ने लेनिन करुप्पन के खिलाफ सुश्री पुष्पा द्वारा बलात्कार, जबरन वसूली और मारने की धमकी देने के मामले में FIR दर्ज करने का आदेश दिया था। इसके बाद पुलिस ने 11 मार्च 2013 को शिकायत एवं FIR Cr. N. 0077/2013 बिड़दी पुलिस स्टेशन में दर्ज की | उच्च न्यायालय ने कानून के अनुसार मामले की जांच के लिए पुलिस को निर्देश दिए थे |
Case of rape registered against Lenin Karuppan after directions from Hon’ble High Court of Karnataka
22 Jan, 2018
माननीय सत्र अदालत ने आज जांच के बाद आरोपपत्र दायर करने का आदेश दिया और धारा 376 (बलात्कार), 341 (गलत तरीके से सख्ती), 506 (आपराधिक धमकी), 504 (इरादों के साथ जानबूझकर अपमान व् शांतिभंग) भारतीय दंड संहिता के तहत और अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अधिनियम की धारा 3 (1) (आर) के तहत (सार्वजनिक रूप से किसी भी जगह अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को अपमानित करने के इरादे से जानबूझकर अपमान या धमकाता है) अपराधों का संज्ञान लिया है। । मामले की गंभीरता के कारण, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत कानून को 2 महीने में समयबद्ध तरीके से इसे पूरा करने का आदेश दिया है|
स्वामी नित्यानंद के खिलाफ एक प्रमुख षड्यंत्र के रूप में, लेनिन करुप्पन एवं उसके सहयोगियों ने स्वामी नित्यानंद का एक अभिनेत्री के साथ सनसनीखेज वीडियो का निर्माण किया था और इस प्रकार उत्पन्न होने वाली मीडिया उन्माद के मद्देनजर उन्होंने 2010 में स्वामी नित्यानंद के खिलाफ झूठा मुकदमा दायर किया था ।
यह आदेश विभिन्न न्यायालयों द्वारा स्वामी नित्यानंद के पक्ष में फैसले की एक श्रृंखला को दर्शाता है। कर्नाटक के माननीय उच्च न्यायालय ने पहले कुछ अपराधिक तत्वों द्वारा 2012 में स्वामी नित्यानंद के खिलाफ दर्ज मामलों को खारिज कर दिया था। कुछ महीने पहले, कर्नाटक के माननीय उच्च न्यायालय ने जांचकर्ता अधिकारियों को उनकी जांच में स्वामी नित्यानंद का पक्ष रखने वाले सभी सबूत प्रस्तुत करने का आदेश दिया। बाद में भारत के माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें स्पष्ट रूप से देखा गया है कि न्यायालय द्वारा वास्तविक गुणवत्ता के प्रमाण पर विचार किया जाना चाहिए, भले ही वे जांच और अभियोजन पक्ष द्वारा दबाए गए हों।
इन सबूतों में 2004 से 2009 तक कथित बलात्कार पीड़ित आरती राव की मेडिकल रिपोर्टें शामिल हैं, जिसमें दिखाया गया है कि उसे 4 से अत्यधिक संक्रामक और असाध्य एसटीडी हैं, जिनमें से कुछ केवल स्पर्श से संचारित हैं| 2009 में आरोप के छह महीने बाद उसकी खुद की ईमेल से यह पता चलता है की उसके कभी भी स्वामी नित्यानंद के साथ यौन संबंध नहीं थे | कथित तौर पर बलात्कार की घटनाओं की तारीखों और स्थानों में विसंगतियों के कई सबूत, स्वामी नित्यानंद की मेडिकल रिपोर्टों से पता चलता है कि उन्हें कभी भी कोई एसटीडी नहीं थी और उनका एक योगिक शरीर है जो यौन कृत्य के लिए सक्षम नहीं है| श्रीमती रंजीता के महत्वपूर्ण बयान में कहा गया है कि उनका वीडियो जो स्वामी नित्यानंद के साथ दिखाया गया है वह नकली और उसको मॉर्फ़ किया गया है|
लेनिन करुप्पन और आरती राव वर्तमान में चेन्नई अदालत में स्वामी नित्यानंद के खिलाफ ब्लैकमेल, जबरन वसूली और आपराधिक साजिश का मुक़दमे का सामना कर रहे हैं।
Below is the order.
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