Original SC order link : http://supremecourtofindia.nic.in/supremecourt/2016/33518/33518_2016_Judgement_07-Dec-2017.pdf
स्वामी नित्यानंद के लिए एक विशाल कानूनी और नैतिक जीत में, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने, कर्नाटक के माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की पुष्टि करते हुए यह आदेश दिया कि स्वामी नित्यानद के पक्ष वाले सभी सबूत पेश किये जाएँ जिनको की न्यायालय से छुपाया गया था तथा जिनमें कि यह साबित होता है कि एक नाईका के साथ कथित वीडियो
नक़ली था तथा जिससे यह उजागर होता है कि कथित बलात्कार पीड़ित और उसके आरोप झूठे थे | माननीय सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी प्रासंगिक दस्तावेज़ या सबूत को दबाए नहीं रख सकते क्योंकि यह केस का अभिन्न अंग है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने स्वामी जी के प्रति हुए अन्याय की कड़ी निंदा की |
उच्च न्यायालय के इस फैसले से यह एक सशक्त बयान आया की मीडिया ट्रायल और निहित स्वार्थ के प्रभाव से किसी को दोषी करार नहीं दिया जा सकता है तथा निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।
एक भरे कोर्ट में फैसला देते हुए , माननीय न्यायालय ने कहा कि यह इस तर्कसंगत निष्कर्ष पर पहुंचा है कि स्वामी नित्यानंद का पक्ष रखने वाले कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जांच अधिकारियों द्वारा दबाए गए और इन महत्वपूर्ण साक्ष्यों के बिना परीक्षण के साथ आगे बढ़ना अन्यायपूर्ण होगा
प्रमुख षड्यंत्र के एक भाग के रूप में, लेनिन करप्पन ने अपने सहयोगियों द्वारा प्रोत्साहित किया
एक सनसनीखेज वीडियो का निर्माण किया, जिसमें अभिनेत्री के साथ स्वामी निथ्यानंद को दिखाया गया था
इस तरह से उत्पन्न मीडिया उन्माद ने 2010 में स्वामी नित्यानंद के खिलाफ झूठे मुकदमा दायर किया था।
यह निर्णय स्वामी नित्यानंद के समर्थन में भारत के कई न्यायालयों द्वारा दिए गए निंर्णयों की श्रंखला में से एक है | कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा पहले, २०१२ में स्वामी नित्यानंद पर निजी स्वार्थी तत्वों द्वारा दर्ज किये कोर्ट केस ख़ारिज किये गए थे | कुछ महीनों पहले, माननीय कर्णाटक हाई कोर्ट ने जाँच करते अधिकारीयों को उनकी जाँच के दौरान प्राप्त हुए सबूतों को,
जो स्वामी नित्यानंद के पक्ष में थे, उन्हें प्रस्तुत करने का आदेश दिया था | कुछ सप्ताह पूर्व, प्रमुख वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं सी जे एम् के माननीय कोर्ट ने मैसूर में दूसरे झूठे पीड़ित विनय भरद्वाज को कड़ा निर्णय सुनाया था, जिसने अस्वाभाविक यौन सम्बन्ध के झूठे आरोप स्वामी नित्यानंद पर लगाए थे | माननीय न्यायलय ने विशाल भरद्वाज को दो करोड़
पिचहत्तर लाख रुपये का बड़ा जुरमाना, एवं ९% ब्याज झूठे केस की तारिख से भरने का निर्देश दिया था |
सबूतों में कथित बलात्कार से गुजरी मिस आरती राव के २००४ से २००९ तक के मेडिकल रिपोर्ट्स शामिल थे जिस समय उसे ४ असाध्य यौन रोग हुए थे, जिनमें से कई रोग केवल स्पर्श मात्र से फैल सकते थे, २००९ के मध्य में, उसके द्वारा सूचित कथित रेप की घटना के छह माह पश्चात् उसने एक ईमेल में स्वयं स्वीकार किया कि उसके स्वामी नित्यानंद के साथ
किसी प्रकार के यौन सम्बन्ध नहीं थे | उसके कथनों में कथित रेप घटना के स्थान और तारीखों की कई विसंगतियां दिखाई पड़ीं| स्वामी नित्यानंद की मेडिकल रिपोर्ट्स में यह दिखाई पड़ा कि उन्हें कभी यौन रोग नहीं हुए हैं, तथा उनका शरीर एक योगी का शरीर है, तथा यौन संबंधों के लिए सक्षम नहीं है | इनमें सबसे महत्वपूर्ण मिस रंजीता का विवरण रहा जिनमें
उन्होंने उस टेप को झूठा और “मॉर्फेड” करार दिया |
लेनिन कुरुप्पन, तथा आरती राव स्वामी नित्यानंद के खिलाफ झूठे आरोप तथा “ब्लैकमेल”, जबरन धन वसूली की कोशिश एवं आपराधिक साजिश के लिए कोर्ट केसेस का सामना कर रहे हैं
१. स्वामी नित्यानंद ‘लोकापवाद’ वाली वीडियो मिथ्या साबित हुई |
२. Sun TV के COO सक्सेना ने न्यायालय एवं सार्वजनिक TV में यह स्वीकार किया कि लोकापवाद वाली वीडियो ब्लैकमेल और पैसा ऐंठने के लिए घड़ी (morphed and fabricated) गयी थी |
३. जो अमरीकी महिला झूठे ही अपने आप को बलात्कार पीड़ित बता रही थी, अमरीकी न्यायलय द्वारा उसकी मेडिकल रिपोर्ट्स तलब करने से पता लगा कि वह ४ प्रकार के लाइलाज संक्रामक एसटीडी रोग से पीड़ित है और पुलिस की जांच से पता लगा की स्वामी जी कभी भी एसटीडी रोग से पीड़ित नहीं थे |